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    देश के इन 5 बजट के हुए हैं सबसे ज्‍यादा चर्चे, ये है वजह

    5 जुलाई 2019 को यूनियन बजट पेश किया गया है। आज हम आपको उन बजट के बारे में बता रहे हैं जो सबसे ज्यादा चर्चा का विषय रहे हैं।

    By Sajan ChauhanEdited By: Updated: Mon, 08 Jul 2019 03:49 PM (IST)
    देश के इन 5 बजट के हुए हैं सबसे ज्‍यादा चर्चे, ये है वजह

    नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। किसी देश के बजट में सरकार की नीतियों और स्कीम के बारे में बताया जाता है। बजट में ऐसे कार्यों का लेखा-जोखा होता है, जिससे देश की अर्थव्यस्था में सुधार हो और आम लोगों को भी फायदा मिले। आज हम आपको उन बजट के बारे में बता रहे हैं जो सबसे ज्यादा चर्चा का विषय रहे हैं। 5 जुलाई, 2019 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने यूनियन बजट पेश किया गया है। 

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    वित्त वर्ष 1957 का कृष्णामाचारी-कलडोर बजट

    कांग्रेस सरकार में तत्कालीन वित्त मंत्री टी टी कृष्णामाचारी ने 15 मई, 1957 को इस बजट को पेश किया था। इस बजट में कई बड़े फैसले लिए गए जिसके पॉजिटिव और नेगेटिव दोनों इम्पेक्ट हुए थे। इस बजट में इंपोर्ट के लिए लाइसेंस अनिवार्य किया गया। नॉन-कोर प्रोजेक्ट्स के लिए बजट का आवंटन वापस ले लिया गया। एक्सपोर्टर को सेफ्टी के लिए एक्सपोर्ट रिस्क इन्श्योरेंस कॉरपोरेशन बनाया गया। इस बजट में वेल्थ टैक्स लगाया गया और एक्साइज ड्यूटी में 400 फीसद तक का इजाफा किया गया। एक्टिव इनकम (वेतन और व्यापार) और पैसिव इनकम (ब्याज और किराया) में अंतर करने की कोशिश हुई और इनकम टैक्स में भी इजाफा हुआ। इस बजट से इंपोर्ट पर लगी बंदिशों और ऊंची टैक्स दरों की वजह से कई मुश्किलें भी हुईं। सीधी बात की जाए तो बाहर से कर्ज लेना मुश्किल हो गया।

    वित्त वर्ष 1973 का द ब्लैक बजट

    इस आम बजट को वित्त मंत्री यशवंतराव बी चव्हाण ने 28 फरवरी, 1973 को पेश किया। इस बजट के जरिए सामान्य बीमा कंपनियों, भारतीय कॉपर कॉरपोरेशन और कोल माइन्स के राष्ट्रीयकरण के लिए 56 करोड़ रुपये उपलब्ध करवाए गए। वित्त वर्ष 1973-74 में बजट में अनुमानित घाटा 550 करोड़ रुपये रहा था, लेकिन ऐसा बताया जाता है कि कोयले की खदानों का राष्ट्रीयकरण किए जाने से काफी व्यापक असर पड़ा। सरकार ने कोयले पर पूरा अधिकार कर लिया और इससे बाजार में कॉम्पिटिशन खत्म हो गया।

    वित्त वर्ष 1987 का गांधी बजट

    वित्त वर्ष 1987 में यूनियन बजट पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने 28 फरवरी, 1987 को पेश किया था। इस बजट में न्यूनतम निगम कर जो आज MAT (मैट) या मिनिमम अल्टरनेट टैक्स के नाम से जाना जाता है उसे पेश किया गया था। इस टैक्स का उद्देश्य उन कंपनियों को टैक्स लिमिट में लाना था, जिनका मुनाफा काफी अधिक था और वो सरकार को टैक्स देने से कतराती थीं। आज के समय में यह टैक्स सरकार की इनकम का मुख्य जरिया है।

    वित्त वर्ष 1997 का पी चिदंबरम का ड्रीम बजट

    वित्त वर्ष 1997 में तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम 28 फरवरी, 1997 को यूनियन बजट पेश किया था, जिसे ड्रीम बजट भी कहा गया। इस बजट में लोगों और कंपनियों के लिए टैक्स प्रावधान में बदलाव हुए। वॉलंटियरी डिसक्लोजर ऑफ इनकम स्कीम (VDIS) पेश की गई, जिससे ब्लैक मनी को बाहर लाया जा सके। इस स्कीम काफी असर देखने को मिला। साल 1997-98 के दौरान निजी आय कर से सरकार को 18,700 करोड़ रुपये मिले। अप्रैल 2010 से जनवरी 2011 के बीच यह इनकम 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गई। लोगों के हाथों में पैसा आया तो बाजार में डिमांड बढ़ी और उससे औद्योगिक विकास हुआ।

    वित्त वर्ष 2005 में पी चिदंबरम ने पेश किया फ्लैगशि‍प प्रोग्राम

    वित्त वर्ष 2005 के बजट तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम 28 फरवरी, 2005 को पेश किया था। इस बजट में पी चि‍दंबरम ने पहली बार राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना (नरेगा) को लॉन्च किया। इस स्कीम से एक तरफ ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार और आमदनी मिली। इसी के साथ इस स्कीम से पंचायत, गांव और जि‍ला स्तर पर नौकरशाहों का जाल सा बि‍छ गया।